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भाव बिना नहि राघव रीझत भाव भगति बिनु कोउ ने

भाव बिना नहि राघव रीझत 
     भाव भगति बिनु कोउ ने पाये..

        भाव हते जूठे बेरन में 
         रघुनंदन के मन अति भाये..

       भाव न थे दुर्योधन के
 मेवा तज माधव साग सुहाये..

रे मन राघव नाम जपो
    करिहैँ हरि दाया भाव जगाये..

©अज्ञात
   #सियाराम