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ममतत्व का द्वंद जोर है ना अंत का कोई छोर है पीड़

ममतत्व का द्वंद जोर है
ना अंत का कोई छोर है 

पीड़ा हृदय 
 मुख शब्द अनमोल है
भाव गरिमा विभोर
 पर सूने कौन 
 चहु दिशा घना शोर है 

ममतत्व का द्वंद जोर है
ना अंत का कोई छोर है !

©kanchan Yadav
  #Problems