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ग़ज़ल 🌷 आंखों की नमी बेमानी है मुस्कुराहट में दर

ग़ज़ल 🌷
आंखों की नमी बेमानी है 
मुस्कुराहट में दर्द दिखता है ।

लफ्जों पे क्या ऐतबार कीजै 
इश्क़ आँखों में ही दिखता है ।

सियासत ने कुछ यूं असर है डाला
कि इमान गुमशुदा सा दिखता है।

दिलों का मेल कहने की बात है
मुहब्बत दिमागों का खेल दिखता है।

ताउम्र खाये निवाले किसी के हिस्से की
अब बुढ़ापे में वो परेशान सा दिखता है।

तेरी इबादत" सुनील" भला क्यूं करे
हर शै में अब बेजान सा तू दिखता है।

.......#सुनील Dubey

©Sunil Dubey #Thoughts
ग़ज़ल 🌷
आंखों की नमी बेमानी है 
मुस्कुराहट में दर्द दिखता है ।

लफ्जों पे क्या ऐतबार कीजै 
इश्क़ आँखों में ही दिखता है ।

सियासत ने कुछ यूं असर है डाला
कि इमान गुमशुदा सा दिखता है।

दिलों का मेल कहने की बात है
मुहब्बत दिमागों का खेल दिखता है।

ताउम्र खाये निवाले किसी के हिस्से की
अब बुढ़ापे में वो परेशान सा दिखता है।

तेरी इबादत" सुनील" भला क्यूं करे
हर शै में अब बेजान सा तू दिखता है।

.......#सुनील Dubey

©Sunil Dubey #Thoughts