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चार कांधे से भी होकर यह सफ़र ज़ारी रह

चार कांधे    से   भी    होकर  यह  सफ़र  ज़ारी   रहे।1


इश्क़ का  हम  पर  सितम  हर  लम्हा  ग़र  ज़ारी रहे।।


हमने  रब  माना  है   दिलबर  को  ओ   की  है बंदगी,,


वो अगर महबूब समझें तो समझें ओ क़हर ज़ारी रहे।।2


हूर-ए-ज़न्नत   हैं  वो   इमान-ए-फ़रिश्ता  जबकि हम,,


धूल  धरती     की    उड़े    कैसे      सफ़र   ज़ारी  रहे।।3


हम   मुहब्बत   कर    चुके  अब   इश्क़  पर   हैं  फ़िदा,,


हो  गए   पागल   भी    कहना  मुख़्तसर  ज़ारी   रहे।।4

श्रीधर श्री
उज्जैन मध्यप्रदेश
1-8-2022

©Shree Shayar श्रीधर श्री

#rain
चार कांधे    से   भी    होकर  यह  सफ़र  ज़ारी   रहे।1


इश्क़ का  हम  पर  सितम  हर  लम्हा  ग़र  ज़ारी रहे।।


हमने  रब  माना  है   दिलबर  को  ओ   की  है बंदगी,,


वो अगर महबूब समझें तो समझें ओ क़हर ज़ारी रहे।।2


हूर-ए-ज़न्नत   हैं  वो   इमान-ए-फ़रिश्ता  जबकि हम,,


धूल  धरती     की    उड़े    कैसे      सफ़र   ज़ारी  रहे।।3


हम   मुहब्बत   कर    चुके  अब   इश्क़  पर   हैं  फ़िदा,,


हो  गए   पागल   भी    कहना  मुख़्तसर  ज़ारी   रहे।।4

श्रीधर श्री
उज्जैन मध्यप्रदेश
1-8-2022

©Shree Shayar श्रीधर श्री

#rain
pranaydevtare3297

Shree Shayar

New Creator

श्रीधर श्री #rain #शायरी