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हर कदम पर मिलती ही रही रौशनी तुम्हारी भले मैं कित

हर कदम पर मिलती ही रही
 रौशनी तुम्हारी
भले मैं कितने ही अंधेरों में
 क्यों ना रहा था
सवाल भी तुम जवाब भी
 तुम थे जिंदगी का
मुझे काम मिला था खुद को
 ही खोजने का

©Vickram
  तलाश
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Vickram

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तलाश #शायरी

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