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धरती धोरां री, आ तो सुरगां नै सरमावै, ईं पर देव र

धरती धोरां री,

आ तो सुरगां नै सरमावै,
ईं पर देव रमण नै आवै,
ईं रो जस नर नारी गावै,
धरती धोरां री!

सूरज कण कण नै चमकावै,
चन्दो इमरत रस बरसावै,
तारा निछरावळ कर ज्यावै,
धरती धोरां री !


काळा बादळिया घहरावै,
बिरखा घूघरिया घमकावै,
बिजळी डरती ओला खावै,
धरती धोरां री!

©Monu
  धरती धोरां री, राजस्थान
 poonam atrey रविन्द्र 'गुल' ek shayar भारत सोनी _इलेक्ट्रिशियन Aदिtya lयस्य न कश्चित् संजय सिंह भदौरिया 
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