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मैं कुछ आज मांगती हूँ, तुझसे तेरा साथ मांगती हूँ,

मैं कुछ आज मांगती हूँ, तुझसे तेरा साथ मांगती हूँ,
यूँ तन्हा ज़िन्दगी गुज़र होती नहीं, अपने नाम के आगे तेरा नाम चाहती हूँ।

देखो ये ठंडी हवाओं की सनसनाहट, ये मदमस्त बारिश की फुहारे,
सिर्फ़ इक तुझ संग मैं इस मौसम का लुत्फ़ उठाना चाहती हूँ।

के फ़िर से रंगीन त्योहारों का मौसम आया है हमनवां ,
इस दफ़ा हर त्यौहार तेरे रंग में रंग बेखुद हो जाना चाहती हूँ।

ग़र आओगे तुम तो आना फ़िर से पहले के जैसे ही,
मैं उन दिनों के ख़ोकर फ़िर से पहली मोहब्बत जीना चाहती हूँ।

जाने क्यों दुनिया के नज़ारे रास आते ना जी को अब,
के मैं तेरी नज़रों से अब इस जहाँ को तकना चाहती हूँ।

यूँ ख़ुद से दूर ना करो मुझको के मैं और तुम अलग़ तो नहीं,
रातों की नींदे उजाड़ है, सर के नीचे तेरे बाँहों का सिरहाना चाहती हूँ। (मौसम का लुत्फ़ - 07)

#kkमौसमकालुत्फ़
#जन्मदिनकोराकाग़ज़
#kkजन्मदिनमहाप्रतियोगिता
#collabwithकोराकाग़ज़
#कोराकाग़ज़
#nazarbiswas
मैं कुछ आज मांगती हूँ, तुझसे तेरा साथ मांगती हूँ,
यूँ तन्हा ज़िन्दगी गुज़र होती नहीं, अपने नाम के आगे तेरा नाम चाहती हूँ।

देखो ये ठंडी हवाओं की सनसनाहट, ये मदमस्त बारिश की फुहारे,
सिर्फ़ इक तुझ संग मैं इस मौसम का लुत्फ़ उठाना चाहती हूँ।

के फ़िर से रंगीन त्योहारों का मौसम आया है हमनवां ,
इस दफ़ा हर त्यौहार तेरे रंग में रंग बेखुद हो जाना चाहती हूँ।

ग़र आओगे तुम तो आना फ़िर से पहले के जैसे ही,
मैं उन दिनों के ख़ोकर फ़िर से पहली मोहब्बत जीना चाहती हूँ।

जाने क्यों दुनिया के नज़ारे रास आते ना जी को अब,
के मैं तेरी नज़रों से अब इस जहाँ को तकना चाहती हूँ।

यूँ ख़ुद से दूर ना करो मुझको के मैं और तुम अलग़ तो नहीं,
रातों की नींदे उजाड़ है, सर के नीचे तेरे बाँहों का सिरहाना चाहती हूँ। (मौसम का लुत्फ़ - 07)

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