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ग़म-ए-दहर भी जिसमें सुकून दे जाए बेदार-ए-फुर्क़त भी

ग़म-ए-दहर भी जिसमें सुकून दे जाए
बेदार-ए-फुर्क़त भी मुहब्बत का जुनूँ हो जाये।
ऐसी चाहत के ज़हाँ हिज़्र भी बेईमानी लगे।
सुकून-ए-वस्ल बस ख़्वाबों के नाम हो जाये।
और हर रोज़ बस यही एक दौर चले
सुबह तेरी यादोँ के साथ जागूँ मैं
और तेरी यादोँ में शाम हो जाये।।

- क्रांति #तेरेनाम #क्रांति
ग़म-ए-दहर भी जिसमें सुकून दे जाए
बेदार-ए-फुर्क़त भी मुहब्बत का जुनूँ हो जाये।
ऐसी चाहत के ज़हाँ हिज़्र भी बेईमानी लगे।
सुकून-ए-वस्ल बस ख़्वाबों के नाम हो जाये।
और हर रोज़ बस यही एक दौर चले
सुबह तेरी यादोँ के साथ जागूँ मैं
और तेरी यादोँ में शाम हो जाये।।

- क्रांति #तेरेनाम #क्रांति