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ग़ज़ल :- भक्त को मातु का सहारा है । ज्योति मन में यह

ग़ज़ल :-
भक्त को मातु का सहारा है ।
ज्योति मन में यही जलाया है ।।१

मातु दर्शन मिले खुशी होगी ।
बस यही शेष और आशा है ।।२

मातु अर्पण किया सुनो जब मन।
पुष्प फिर और क्या चढ़ाना है ।।३

सुन लिया है कथा सती माँ की ।
नाथ पर प्राण देख लो वारा है  ।।४

दुष्ट जब भी बढ़े धरा पर माँ ।
भक्त तुमको तभी पुकारा है ।।५

सिंह पर हो सवार आओ माँ ।
आपके बिन न अब गुजारा है ।।६

कर चमत्कार देख ले दुनिया ।
देख तुझको तनय निहारा है ।।

आज अरदास सुन जगत जननी ।
मातु कहके प्रखर बुलाता है ।। ७

१४/१०/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :-
भक्त को मातु का सहारा है ।
ज्योति मन में यही जलाया है ।।१

मातु दर्शन मिले खुशी होगी ।
बस यही शेष और आशा है ।।२

मातु अर्पण किया सुनो जब मन।
ग़ज़ल :-
भक्त को मातु का सहारा है ।
ज्योति मन में यही जलाया है ।।१

मातु दर्शन मिले खुशी होगी ।
बस यही शेष और आशा है ।।२

मातु अर्पण किया सुनो जब मन।
पुष्प फिर और क्या चढ़ाना है ।।३

सुन लिया है कथा सती माँ की ।
नाथ पर प्राण देख लो वारा है  ।।४

दुष्ट जब भी बढ़े धरा पर माँ ।
भक्त तुमको तभी पुकारा है ।।५

सिंह पर हो सवार आओ माँ ।
आपके बिन न अब गुजारा है ।।६

कर चमत्कार देख ले दुनिया ।
देख तुझको तनय निहारा है ।।

आज अरदास सुन जगत जननी ।
मातु कहके प्रखर बुलाता है ।। ७

१४/१०/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :-
भक्त को मातु का सहारा है ।
ज्योति मन में यही जलाया है ।।१

मातु दर्शन मिले खुशी होगी ।
बस यही शेष और आशा है ।।२

मातु अर्पण किया सुनो जब मन।

ग़ज़ल :- भक्त को मातु का सहारा है । ज्योति मन में यही जलाया है ।।१ मातु दर्शन मिले खुशी होगी । बस यही शेष और आशा है ।।२ मातु अर्पण किया सुनो जब मन। #शायरी