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चलने दो अकेले मुझे अभी, देखूं मिजाज मैं मौसम का। य

चलने दो अकेले मुझे अभी, देखूं मिजाज मैं मौसम का।
या तो खुशनुमा होगा या बिगड़ा होगा मिजाज मौसम का।

क्या होगा जो वो भी कुछ मुझ पे सितम कर लेगा।
हसरतें उसकी भी पूरी होगी मेरे अपनो की तरह।

©नागेंद्र किशोर सिंह ( मोतिहारी, बिहार।)
  # देखूं मिजाज मौसम का।