शक की दीवारें, अगर आ जाए रिश्तों मे, तो सच्चे ज़ज्बात को भी, तोड़ देती है पलभर में ही। एक अविश्वास की बू , उपजाती है शक आपसी साझेदारी मे, धीरे धीरे बढ़ाकर दरारें अखिर में, सूली चढ़ा देता है दो दिलों को। क्यू सुनना दुनिया की बाते, ये दुनिया तो है दो मुखौटों वाली, रख के आपस मे एक अटूट विश्वास, रिश्तों को निभा खुशियो से। प्यार का रिश्ता तो होता है खुदा की देन, ना तोड़ इसे शक की वज़ह से, जो है तेरा वह हमेंशा ही वफादार रहेगा तेरा, तो शक नामक चीज़ कभी ना डालना आपसी रिश्तों में। -Nitesh Prajapati ♥️ Challenge-941 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।