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poonam atrey
जहाँ प्यार की बरसात होती थी ,वहाँ खड़ी हैं अब शक की दीवारें, एक छोटा सा भ्रम ढहा गया , ना जाने कितनी ही मीनारें, बहा करती थी जिस गुलशन में ,कभी मोहब्बत की गंगा यमुना, खिंज़ा का रंग छोड़कर , अब वहाँ से लौट गई हैं बहारें, हरी भरी बगिया में , जब शक के बीज बिखर गए, वो उजड़ती हुई बगिया हो अब ,किस माली के सहारे, घर को ही लग जाए आग जब ,घर के चिराग से, अविश्वास की उस अग्नि से , इन्हें अब कौन उबारे, उस शक की हो दीवारें जब , विश्वास से भी दीर्घ , औंधे मुँह गिर जाए फिर , उस घर की नींव और दीवारें।। -पूनम आत्रेय ©poonam atrey #शककीदीवारें kumar samir Kamlesh Kandpal Puja Udeshi Raj Guru Sunita Pathania Mahi -hardik Mahajan Bhardwaj Only Budana Deep Ashutosh Mishra अदनासा- Neel डॉ मनोज सिंह,बोकारो स्टील सिटी,झारखंड। (कवि,संपादक,अंकशास्त्री,हस्तरेखा विशेषज्ञ 7004349313) Anshu writer Urvashi Kapoor Anil Ray Mili Saha Richa Mishra वंदना .... GULSHAN KUMAR Rajesh Arora Navash2411 shashi kala mahto R K Mishra " सूर्य " दिनेश कुशभुवनपुरी शीतल चौधरी(मेरे शब्द संकलन ) Saloni Khanna एक अजनबी Rakesh Srivastava Lalit Saxen
Sita Prasad
बड़ी ही अदृश्य हैं ये दीवारें, जिन्हे बनने में देर नहीं लगती, न ही वक्त लगता है इनमें बंधने में यारों! जिनके मन डांवाडोल होते हैं, कभी अविश्वास के शिकार, कभी अंधविश्वास के मुजरिम होते हैं। खामखा शक की जाल में फंस, अपने चैन के साथ औरों की नींद, छिन, भटकते हैं अलक्ष्य भूलभुलैया में। मन नियंत्रित करना सीख लो, ज़रा अंतःकरण का पुण्याहवाचन कर लो, दीवारों से हो मुक्त, खुली सांस ले लो।। ♥️ Challenge-941 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।
Soulmate (Yuhee)
बेशक़ दिखतीं नहीं यूँही मगर दीमक बन खोखला कर देती हैं हर रिश्ते को ♥️ Challenge-941 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।
Nitesh Prajapati
शक की दीवारें, अगर आ जाए रिश्तों मे, तो सच्चे ज़ज्बात को भी, तोड़ देती है पलभर में ही। एक अविश्वास की बू , उपजाती है शक आपसी साझेदारी मे, धीरे धीरे बढ़ाकर दरारें अखिर में, सूली चढ़ा देता है दो दिलों को। क्यू सुनना दुनिया की बाते, ये दुनिया तो है दो मुखौटों वाली, रख के आपस मे एक अटूट विश्वास, रिश्तों को निभा खुशियो से। प्यार का रिश्ता तो होता है खुदा की देन, ना तोड़ इसे शक की वज़ह से, जो है तेरा वह हमेंशा ही वफादार रहेगा तेरा, तो शक नामक चीज़ कभी ना डालना आपसी रिश्तों में। -Nitesh Prajapati ♥️ Challenge-941 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।
नरेश होशियारपुरी
दरम्यां पनपने न कभी दीजिये।। जो बात दिल को चुभ रही है।। उस बात को कह भी दीजिये।। टूट जाते हैं रिश्तें बिना ऐतबार के।। यकीं जो बना है बना रहने दीजिये।। ♥️ Challenge-941 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।
Dr Upama Singh
शक की दीवारें हम दरमियाँ आने ना देंगे इतना प्यार भर देंगे दिलों में शक की गुंजाइश रहने ना देंगे। शक की दीवारें तोड़ देंगे हम सनम लेकिन ख़ुद की नज़रों में गिरने ना देंगे सनम। इतना मोहब्बत का सागर दिल में होगा दिल में शक का बीज पनपने ना देगा। विश्वास भर ही टिके होते हैं सारे रिश्ते इसी के नींव पर प्यार से टिकते हैं रिश्ते। शक गर हुआ दिल में, चोट करे ये बहुत ही गहरे फिर इसका कोई इलाज़ नहीं, कुछ नहीं कर सकते फरिश्ते भी। शक से रिश्ता कमज़ोर पड़ जाता, रिश्ता हँस कर सब सहता रहता कहांँ गया वो प्यार और भरोसा, जिस पर रिश्ता घमंड था करता। ज़माना ही भरोसा तोड़ता शक की नींव वही है डालता अब क्या करेगा रोता रिश्ता, इसका इलाज़ ईश्वर भी ना कर सकता। ♥️ Challenge-941 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।
Divyanshu Pathak
कैसे बिखर रही हैं देखो ये मेरे हक़ की दीवारें कैसे बिफ़र रही हैं देखो ये तेरे हक़ की दीवारें ख़्वाबों का महल बनाया था जो टूट गया है! ढह गया शेष हैं देखो ये शक की दीवारें। ज़िस्म मेरा मुझको केवल पिंजर लगता है। क़ैद हुई रूहों का ये किंकर लगता है। छूट रही जो टीप हुई देखो ये लख की दीवारें। कैसे बिखर रही हैं देखो ये मेरे हक़ की दीवारें ♥️ Challenge-941 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।
Divyanshu Pathak
तुमसे दूर मैं कभी जाऊँगा नहीं मेरा ये वादा है पीठ दिखाऊँगा नहीं वक़्त कितने भी लेले इम्तिहान मेरे मैं तेरा दिल कभी दुखाऊँगा नहीं। तुमसे मोहबब्त करूँगा उम्र-भर! बजह बेबजह सताऊँगा नहीं। महक़ी रहेगी मेरी दुनिया फूल होंगे काँटे लगाऊँगा नहीं रातरानी खिलेगी आँगन में नागफनियाँ कभी बढ़ाऊंगा नहीं बृज की मिट्टी कण कण प्रेम भरा तेरे इश्क़ का सिर झुकाऊँगा नहीं। क़ैद न कर पायेंगी शक की दीवारें! पंछी' भरोसा कभी घटाऊँगा नहीं। ♥️ Challenge-941 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।
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