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ना आए हाथ मेरे, फुल मुहब्बतों के, खारों ने मुझे क्

ना आए हाथ मेरे,
फुल मुहब्बतों के,
खारों ने मुझे क्यों,
बदनाम कर दिया।

तरसते रहे किसी के,
दिल में बस जाने को,
खटखटाया बहुत दरवाजा ,
 ना दिल घर दिया।
@©®✍️ सरबजीत संगरूरवी

©Sarbjit sangrurvi ना आए हाथ मेरे,
फुल मुहब्बतों के,
खारों ने मुझे क्यों,
बदनाम कर दिया।

तरसते रहे किसी के,
दिल में बस जाने को,
खटखटाया बहुत दरवाजा ,
ना आए हाथ मेरे,
फुल मुहब्बतों के,
खारों ने मुझे क्यों,
बदनाम कर दिया।

तरसते रहे किसी के,
दिल में बस जाने को,
खटखटाया बहुत दरवाजा ,
 ना दिल घर दिया।
@©®✍️ सरबजीत संगरूरवी

©Sarbjit sangrurvi ना आए हाथ मेरे,
फुल मुहब्बतों के,
खारों ने मुझे क्यों,
बदनाम कर दिया।

तरसते रहे किसी के,
दिल में बस जाने को,
खटखटाया बहुत दरवाजा ,

ना आए हाथ मेरे, फुल मुहब्बतों के, खारों ने मुझे क्यों, बदनाम कर दिया। तरसते रहे किसी के, दिल में बस जाने को, खटखटाया बहुत दरवाजा , #Rose #ਜੀਵਨ