ज़रा धीरे से नाम लो, ज़माने के साथ रब न ले सुन, खोकर दुआओं की सदा में कहीं वो माँग न ले धुन। दर्द में आँसुओं से ज़्यादा तो अब मुस्कान बहती है, देख इनकी अदाएँ कहीं कोई और ख़्वाब न ले बुन। कैसे सुनाऊँ मैं तुम्हें अपने बेक़रार दिल का फ़साना, सुनकर इसकी बेहाली, ग़ैर-दिल की राह न ले चुन। बे-हिसाब रिश्ते हैं और बे-हिसाब उनकी ख़्वाहिशें, माँग-माँगकर करती हूँ पाप,ज़माना मान न ले पुन। दिल से बदली नहीं जाती उसमें बसी तस्वीर 'धुन', रखना ज़रा संभालकर,कोई और मौका न ले भुन। पुन- पुण्य कोरा काग़ज़ विशेष प्रतियोगिता - 'दिल का फ़साना' #collabwithकोराकाग़ज़ #कोराकाग़ज़ #विशेषप्रतियोगिता #kksc21 #दिलकाफ़साना #sangeetapatidar #ehsaasdilsedilkibaat