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शजर (पेड़) के कद से ना शाखों की लंबाई से डरता हूं

शजर (पेड़) के कद से ना शाखों की लंबाई से डरता हूं
ना पर्वत से ना पर्वत की में ऊंचाई से डरता हूं
समन्दर नापना भी चुटकियों का काम है लेकिन 
मै तेरी झील सी आंखों की गहराई से डरता हूं

©naved Zaidi
  #for your beloved ones
nomanzaidi6348

naved Zaidi

New Creator

#for your beloved ones #शायरी

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