परीक्षा का ड़र (read in caption) रिया एक मेधावी छात्र थी | वो दसवीं कक्षा में पूरे राज्य में अव्वल आई थी | उसे उसका बड़ा भाई श्याम पढ़ाता था जो कुछ दिनों पहले ही शिक्षक बना था | रिया ने अच्छे परिणाम होने की वजह से ग्यारहवीं के विज्ञान प्रवाह में दाखिला लिया था | उसका सपना था कि वो बड़ी हो कर कंप्यूटर इंजीनियर बने और गूगल कंपनी में नौकरी पाये | उसकी दसवीं होने केे बाद विश्व में कोरोना नामक बिमारी ने दस्तक दी | जिसकी वजह से सारे देशों में लॉकडाउन लगाना पड़ा | तो फिर होना क्या था रिया की पाठशाला बंद,उसके पापा का और भाई का काम भी बंद | उनका परिवार मध्यम वर्गीय था | अब ऐसे हालात में उनकी बचत तो एक दो महीने में खत्म हो गई | पर जैसे तैसे करके परिवार का गुजारा चलाते थे | पर इस कोरोना की चपेट में श्याम आ गया | अब तो उसके ईलाज केे लिए पैसे भी नहीं बचे थे | रिया पापा ने अपने सेठ से उधार लिये पर क्या फायदा श्याम की जान ना बच पाई | उन्होंने अपने बुढापे का सहारा खो दिया | इधर रिया का शिक्षण ऑनलाइन चल रहा था पर रिया केे पास उससे जुड़ने केे लिए कोई साधन नहीं था इसीलिए वो जुड़ नहीं पाती ऐसे ही वो कोरोना महामारी की वजह से ग्यारहवीं पास हो गई | पर वो एक साल कुछ नहीं पढ़ी लिखी थी इसीलिए उसे विज्ञान में कुछ नहीं आता | क्योंकि वो कहते हैं ना इमारत की नींव मजबूत ना हो तो वो सही से खड़ी नहीं रह पाती इसी तरह ११ वी नींव हैं और १२ वी इमारत | कुछ दिनों बाद पाठशाला खुली और रिया रोज जाने लगी पर उसे पाठशाला में थोड़ा समझ आता थोड़ा नहीं भी | और बाकी बच्चों की तरह ट्यूशन लगा सके उतने पैसे तो उसके पास थे भी नहीं | फिर भी उसने हिम्मत नहीं हारी और पढ़ने बैठती | पर उसके नकारात्मक विचार उसे पढ़ने नहीं देते | वो पढ़ते वक्त यही सोचती कि मुझे कुछ नहीं आ रहा तो मेरा क्या होगा | मुझे तो ११ वी केे आधारभूत विषय की भी समझ नहीं हैं |