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नारी तुम कभी देवी तो कभी कलंकिनी भी कहलाती हो तुम

नारी तुम कभी देवी तो कभी कलंकिनी भी कहलाती हो
तुम तो हो सृष्टि की जन्मदात्री तुम क्यों अपना मन हारती हो

तुम से है घर की नींव तुम तो परिवार को खुशी देती हो
संस्कार की कमां लेकर हाथों में एक सभ्य समाज बनाती हो

नारी तुम सिर्फ़ एक स्त्री नहीं, तुम अपने बच्चों के लिए खुदा भी हो
 ना समझ ख़ुद को तुम अबला, शक्तिहीन ,तुम शक्ति स्वरूपा हो

दूसरों से फेंकी गई गंदगी से ख़ुद को क्यों मैला समझती हो
जब दोष तेरा नहीं ,तो अपनी स्वाभिमान पे क्यों शर्मिंदा हो

नारी तुम सच में इस दुनियां में ईश्वर की ,नायाब रचना हो
तुझे सृज कर ये समझो की ,अब ईश्वर की रचना पूरी हुई हो।

©Sadhna Sarkar
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आप सभी को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं 💐💐

#ankahe_jazbat 💫💫 आप सभी को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं 💐💐 #कविता

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