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Autumn उर्वशी का अभिशाप। अभिशाप भी आर्शीवाद बन गय

Autumn उर्वशी का अभिशाप।

अभिशाप भी आर्शीवाद बन गया।
भविष्य में आया काम,काम बन गया।

विश्वास टुटा ,दिल टुटा ,
मन पर पड़ा आघात।
मनोकामना उर्वशी का पूर्ण न हुआ तो,
अर्जुन को दी अभिशाप।

अर्जुन व्यथित, दुखित हुआ।
दोष ढुढने का किया प्रयास।
प्रयास विफल हुआ ,मन विकल हुआ।
आंखों के आगे प्रकाश निष्फल हुआ।

अर्जुन कुछ समझ न पाया।
कहां हुआ हमसे पाप ,सहज न पाया।
किस कर्म तृटि के कारण,
मिला ऐसा अभिशाप।

सोच- सोच कर अर्जुन हार गया।
स्वीकार किया,शिश हार किया।

अभिशाप को ही आर्शीवाद समझा।
मिला कर्म का प्रसाद समझा।

मन ही मन विचार रहा था।
कुछ अच्छा ही होगा ,
सब स्वीकार रहा था।

शिश झुकाकर किया प्रणाम,
अलविदा कहा ,कहा प्रणाम।

©Narendra kumar
  #autumn
narendrakumar3882

Narendra kumar

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#autumn #Poetry

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