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अब न तो उदास होते है और न ही हम रूठते है; न टीस

अब न तो उदास  होते है
 और न ही हम रूठते है;
न टीस उठती है मन में 
न आँख से आँसू छूटते है।
बदला बदला जैसा है कुछ तो 
पर शायद बदला कुछ नहीं;
हम आज भी ख़्वाब संजोते है 
स्वप्न अब भी हमारे टूटते है।

©एस पी "हुड्डन"
  #स्वप्न