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समय का साथ निभाता चला गया, रास्ते के पत्थर हटाता च

समय का साथ निभाता चला गया,
रास्ते के पत्थर हटाता चला गया..!

मैं हूँ, जिस राह पे उसपे और भी मिले,
मैं दोस्त यार सफर में बनाता चला गया..!

मुसाफिर हूँ मुझे रास्ते की फिक्र है,
पैरों से धूल उड़ाता चला गया..!

ये तो पड़ाव है रास्ते की,मुकाम कहीं और है,
जो पाया यहाँ, किसी और पे लुटाता चला गया..! #सफर #दीपक_की_वाणी #deepakivani #originals
समय का साथ निभाता चला गया,
रास्ते के पत्थर हटाता चला गया..!

मैं हूँ, जिस राह पे उसपे और भी मिले,
मैं दोस्त यार सफर में बनाता चला गया..!

मुसाफिर हूँ मुझे रास्ते की फिक्र है,
पैरों से धूल उड़ाता चला गया..!

ये तो पड़ाव है रास्ते की,मुकाम कहीं और है,
जो पाया यहाँ, किसी और पे लुटाता चला गया..! #सफर #दीपक_की_वाणी #deepakivani #originals