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ब्रह्माण्ड में चारों तरफ़ सिर्फ अंधकार था व्याप्



ब्रह्माण्ड में चारों तरफ़ सिर्फ अंधकार था व्याप्त।
चौथे रुप में माता ने तब किया अण्ड निर्माण।।

सभी जीवों और प्राणियों में है मां का तेज।
माता के कृपा बिना हो जाते हैं सब निस्तेज।।

सारा चराचर जगत है मां के ही माया से मोहित।
मां के ही प्रेरणा से होता है जगत में सबका हित।।

दिव्य प्रकाश जगत में मां कुष्मांडा फैलाती।
ममतामई, करुणामई, कल्याणकारी कहलाती।।

सौम्य स्वभाव वाली है मेरी मां अष्टभुजाओंवाली।
भक्तों की सारी विपदा दूर करती है महामाई।।

जो कोई श्रद्धा भक्ति से मां के शरण में आता।
सुख, समृद्धि,धन, सम्पदा बिन मांगे मिल जाता।।

©Shivkumar
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