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बेजुबान शायर shivkumar
ब्रह्माण्ड में चारों तरफ़ सिर्फ अंधकार था व्याप्त। चौथे रुप में माता ने तब किया अण्ड निर्माण।। सभी जीवों और प्राणियों में है मां का तेज। माता के कृपा बिना हो जाते हैं सब निस्तेज।। सारा चराचर जगत है मां के ही माया से मोहित। मां के ही प्रेरणा से होता है जगत में सबका हित।। दिव्य प्रकाश जगत में मां कुष्मांडा फैलाती। ममतामई, करुणामई, कल्याणकारी कहलाती।। सौम्य स्वभाव वाली है मेरी मां अष्टभुजाओंवाली। भक्तों की सारी विपदा दूर करती है महामाई।। जो कोई श्रद्धा भक्ति से मां के शरण में आता। सुख, समृद्धि,धन, सम्पदा बिन मांगे मिल जाता।। ©Shivkumar #navratri #navratrispecial #नवरात्रि #navratri2024 #ब्रह्माण्ड में चारों तरफ़ सिर्फ #अंधकार था व्याप्त । चौथे रुप में माता ने तब किया अण्ड #निर्माण ।।
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read moreमलंग
orange string love light जब मेरा #हृदय तुम्हारे हृदय के संपर्क में होता है. तब #ब्रह्माण्ड झुक जाता है। ©मलंग #lovelight
Balram Batra
तुम्हारी आंखों में देखा है मैंने, चांद, सितारे, ग्रह, उपग्रह, धूमकेतु, उल्काएं और समस्त आकाशगंगा को.. ये कहना अतिशयोक्ति नहीं कि, तुम्हारे साथ-साथ समूचा 'ब्रह्माण्ड', मेरे प्रेम का साक्षी है.. ©Balram Bathra #ब्रह्माण्ड
Tara Chandra
जितना खोजा, उतना उलझा, अनन्त भी अनन्त में खोया, विश्व है सीमित, पर ब्रह्माण्ड के, अन्तिम छोर का पता नहीं।। वृहद पिण्ड , कण-2 की भाँति, घूम रहे, कक्षाओं में, जिस परमाणु से हैं निर्मित, उसकी गहराई का पता नहीं।। कोई न जाने परमपिता का, कितना सूक्ष्म, विराट स्वरूप, दसों दिशा, सर्वत्र विराजे मानव को बस पता नहीं।। ©Tara Chandra Kandpal #ब्रह्माण्ड
आयूष जी श्रीवास्तव
दिनों बाद आज फिर से कलम डोली है, अपने शब्दों में कुछ दुनिया से बोली है। चिंगारी शोला बन जाती है, जवानी शोलों को भी तड़पाती है। अकेला तारा भी आसमां में जगमगाता है, सूर्य कहते उसे कोई आंख मिला नही पाता है। जीवन मे हार नहीं कोई शब्द धरा, जज्बा है जीवन का सहरा। बिन स्याही कोई कलम नहीं, बिन श्रम जीवन आधार नहीं। स्याही से ही इतिहास लिखा, श्रम द्वारा ही ब्रह्माण्ड रचा। गढ़ दे ब्रह्माण्ड नया इक तू, ताकत श्रम की दिखला दे तू।
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