माना कि "जिंदगी रेत सी" है, पर स्वप्न हजारों पाले हैं। अगले पल का कुछ पता नहीं, लेकिन हर स्वांस "शिवाले" हैं।। निज से कर डाला वचन यही, हमको हर हार हरानी है। "जिन्दगी रेत सी " मिली भले, शत्रुऔं की तो लाशैं बिछानी हैं।। ©bhishma pratap singh #जिन्दगी रेत सी #काव्य संकलन #भीष्म प्रताप सिंह #हिन्दी कविता#राष्ट्र प्रेम