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हाथ में सूरज को लेकर दे रहे उपहार में भ

     हाथ में सूरज को लेकर दे रहे उपहार में
      भूल कर सारे जहां को प्रेयसी के प्यार में
          क्या वो इसके तपिश को सहन भी कर पाएगी
          या भयानक रूप इसका देखकर डर जाएगी
    या समर्पित जिंदगी कर देगी वो आभार में
            दूर से जो खूबसूरत उसके अंदर आग है
             यूं कठिन लेता परीक्षा आजकल अनुराग है
      है छिपी होती भलाई आजकल इन्कार में
             चांद तारे तोड़ कर लाना नहीं आसान है
              खा रहे कसमें कि जैसे उनको इसका ज्ञान है
    फिर भी बेखुद ख्वाब दिखलाते सभी संसार में

©Sunil Kumar Maurya Bekhud
  ईश्क

ईश्क #शायरी

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