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गिरती बर्फ की तरह फिसलता रहा वक्त हाथों से वो मेरे

गिरती बर्फ की तरह फिसलता रहा वक्त हाथों से
वो मेरे पास आते रहे अपनी प्यारी प्यारी बातों से,
छोड़ दिया अचानक मुझे अपना बनाकर एक दिन
दर्द इतना दिया मैं रोता रहा रातों को।
मेरे पास बैठकर उसने मुझे दूर कर दिया
मेरे जहन में उसकी तस्वीर तक नहीं है,
वो कौन है कहां गया किधर गया
उसकी याद अब दूर दूर तक नहीं हैं।

©Vikram Singh Rana
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