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ये चांद जब भी आसमान में आता है मेरे मेहताब की याद

ये चांद जब भी आसमान में आता है
मेरे मेहताब की याद दिलाता है
ये रात की खामोशी 
ये हवा की मदहोशी
उन्हें आसपास महसूस कराती है
उनके करीब होने का एहसास जताती है
जब भी बादलों में ये चांद खो जाता है
मेरा मन दर्पण बिखर सा जाता है
ये तन्हासी होती है फिर जिंदगी
रूठी रहती है चांद से उसकी चांदनी
#Pournima Mohol

©Pournima Mohol
  #चांद