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ज़िंदगी बिखरी कोई ग़म नही कभी तो अब्रेबहार आएगा!

ज़िंदगी बिखरी कोई ग़म नही
कभी  तो अब्रेबहार आएगा!

होटों पर तू मुस्कुराहट रख
दिल को  सुकूनेक़रार आएगा!

जो मिला नही वो धोखा था
इंतज़ार  रख एतबार आएगा!

तसल्ली यूं इत्मिनान के साथ
खुद-ब-खुद गुनाहगार आएगा!

मोहब्बत में कशिश है 'राही'
लौट उसका तलबगार आएगा!

©kumar ramesh rahi
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