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ये घुप अंधेरा कब तक ? सूरज ने रोशनी नहीं पंहुचाई

ये घुप अंधेरा कब तक ?
 सूरज ने रोशनी नहीं पंहुचाई अब तक ? 
फलक पर है चांद थोड़े हमारे सपने भी हैं,  
ये अमावस की रात कब तक ? 
ये जो फासला दिन से रात होने का लम्बा सफर मगर कब तक ?
 ख़ामोशी किस्मत की, घुटन रूह की, सांसों में बस जिंदा होने कि ठंड और आंखों में हर बार हारने की तपिश कब तक ?

©sukhwant kumar Saket #कब #तक #तकलीफ़ #बात #poem #कहां_गए_सब 

#ColdMoon  Sujata jha Atul vasava  kavita ranjan MONIKA SINGH Anshu writer   BELINDA INDA
ये घुप अंधेरा कब तक ?
 सूरज ने रोशनी नहीं पंहुचाई अब तक ? 
फलक पर है चांद थोड़े हमारे सपने भी हैं,  
ये अमावस की रात कब तक ? 
ये जो फासला दिन से रात होने का लम्बा सफर मगर कब तक ?
 ख़ामोशी किस्मत की, घुटन रूह की, सांसों में बस जिंदा होने कि ठंड और आंखों में हर बार हारने की तपिश कब तक ?

©sukhwant kumar Saket #कब #तक #तकलीफ़ #बात #poem #कहां_गए_सब 

#ColdMoon  Sujata jha Atul vasava  kavita ranjan MONIKA SINGH Anshu writer   BELINDA INDA