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तब्ती हुई धुप में चलकर। अपनी कामयाबी का रास्ता बना

तब्ती हुई धुप में चलकर।
अपनी कामयाबी का रास्ता बना रहा हूं।

खामोशी भरी रात की अंधियारों में।
जग जग कर अपनी जिंदगी की कहानी लिख रहा हूं।


अपने बुरे वक़्त और नसीब से लड़कर।
कुछ खुशनूमा सा सायर लीख रहा हूं।

कुछ देर के लिए ही सही।
पर इस दुनिया के नज़रों में धूल झोंक रहा हूं। कुछ देर के लिए ही सही।
पर इस दुनिया के नज़रों में धूल झोंक रहा हूं।...
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तब्ती हुई धुप में चलकर।
अपनी कामयाबी का रास्ता बना रहा हूं।

खामोशी भरी रात की अंधियारों में।
जग जग कर अपनी जिंदगी की कहानी लिख रहा हूं।


अपने बुरे वक़्त और नसीब से लड़कर।
कुछ खुशनूमा सा सायर लीख रहा हूं।

कुछ देर के लिए ही सही।
पर इस दुनिया के नज़रों में धूल झोंक रहा हूं। कुछ देर के लिए ही सही।
पर इस दुनिया के नज़रों में धूल झोंक रहा हूं।...
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