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समस्त पहचान का अस्थायी अस्तित्व नाम-रूप तक भी माता

समस्त पहचान का अस्थायी अस्तित्व
नाम-रूप तक भी माता-पिता द्वारा पाया..

क्या था मुझमें मेरा कुछ भी नही यार 
तुझसे मिलन में मेरा 'मैं' भी जैसे खो गया..

पूछना खुदा से मेरी 'तड़फ' को तुम
क्यों कोई मुझसे मिलकर भी जुदा हो गया..

बनाकर परी पर कतरे गये बंदिशों में
चारों ओर दीवारों से मर्यादा महल हो गया..

पाक इबादत इश्क़ में खुदा समझा था
और देखो अब वो खुदा भी पत्थर हो गया..

अनिल अनल जलाती है मेरी रूह तक
क्यों जिस्म -टुकड़ों का समाज भिन्न हो गया.?

©Anil Ray
  विचारार्थ लेखन.................✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻

विवाह एक नापाक गठबंधन है चाहे इसे जो नाम दे कोई ? इसका जन्म नेकनीयत की भावना से नहीं बल्कि सुरक्षा के मद्देनजर हुआ है और प्रत्येक सुरक्षा अनिवार्यतः गुलामी को जन्म देती है।

किसी ने कहा : विवाह एक संस्थागत वेश्यावृत्ति है, उस बात पर सोचते हुए आया ख्याल। संस्थागत वेश्यावृत्ति हो न हो संस्थागत शोषण तो है ही इसमें कोई शक नहीं।

जैसे अकर्मण्य व्यक्ति को भोजन की गारंटी आकर्षित करती है, ठीक उसी तरह नाकाबिल पुरुषों को विवाह की व्यवस्था आकर्षित करती है। इस गठबन्धन में नाकाबिल पुरुष को सेक्स और स्त्री के ऊपर नियन्त्रण हासिल होता है तो स्त्री को आश्रय और भोजन।
anilray3605

Anil Ray

Bronze Star
Growing Creator
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विचारार्थ लेखन.................✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻 विवाह एक नापाक गठबंधन है चाहे इसे जो नाम दे कोई ? इसका जन्म नेकनीयत की भावना से नहीं बल्कि सुरक्षा के मद्देनजर हुआ है और प्रत्येक सुरक्षा अनिवार्यतः गुलामी को जन्म देती है। किसी ने कहा : विवाह एक संस्थागत वेश्यावृत्ति है, उस बात पर सोचते हुए आया ख्याल। संस्थागत वेश्यावृत्ति हो न हो संस्थागत शोषण तो है ही इसमें कोई शक नहीं। जैसे अकर्मण्य व्यक्ति को भोजन की गारंटी आकर्षित करती है, ठीक उसी तरह नाकाबिल पुरुषों को विवाह की व्यवस्था आकर्षित करती है। इस गठबन्धन में नाकाबिल पुरुष को सेक्स और स्त्री के ऊपर नियन्त्रण हासिल होता है तो स्त्री को आश्रय और भोजन। #Dream #Women #thought #girl #nojotohindi #Inequality #marrage #Anil_Kalam #Anil_Ray

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