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Anil Ray
ग़र मोहब्बत होती तुझे भी मुझसे समझते खामोश लबों की जुबां को.. यूं ही नही सजती महफ़िल गीत से लब से आज़ाद कर दो अल्फ़ाज़ो को.. ©Anil Ray 🤔🤔💕"मैं पसंदीदा हूँ.."💕🤔🤔 अब ख्वाहिशों का ख्याल कहाँ यारो अपनी कुछ ख्वाहिशों पर 'शर्मिन्दा' हूँ.. इश्क़लता से टूटा और मुरझाया फूल
🤔🤔💕"मैं पसंदीदा हूँ.."💕🤔🤔 अब ख्वाहिशों का ख्याल कहाँ यारो अपनी कुछ ख्वाहिशों पर 'शर्मिन्दा' हूँ.. इश्क़लता से टूटा और मुरझाया फूल
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दर्द देकर इंतहान मत लो जिंदगी अनिल जानता है मेरी मौत मंजिल है.. दर्दे-दिल को कितना ज़ख्म दोगे नया दर्द पुराने दर्द में 'दवा' काबिल है.. ©Anil Ray 💞💞 समझा प्रेम की पीर 💞💞 जाना है तो अभी जाओ तुम अब अनिल! ठहरा एक फ़कीर... मिट जायें मिट्टी-सी जो रेखा नही चाहिए प्रीत की ऐसी लकीर..
💞💞 समझा प्रेम की पीर 💞💞 जाना है तो अभी जाओ तुम अब अनिल! ठहरा एक फ़कीर... मिट जायें मिट्टी-सी जो रेखा नही चाहिए प्रीत की ऐसी लकीर..
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अनिल आरज़ू इश्क़ इबादत में यही है यार जिस्म मिटाकर रूहानी रूह रूह में समा जाये.. ©Anil Ray 💞तेरे साथ-साथ चलना चाहता हूँ💞 मैं नफरत जहां को, बदलना चाहता हूँ हाँ! इसको प्यार में बदलना चाहता हूँ। अकेला आया और अकेले ही जाना है मेरे स्वजनों के रंग में ढलना चाहता हूँ।
💞तेरे साथ-साथ चलना चाहता हूँ💞 मैं नफरत जहां को, बदलना चाहता हूँ हाँ! इसको प्यार में बदलना चाहता हूँ। अकेला आया और अकेले ही जाना है मेरे स्वजनों के रंग में ढलना चाहता हूँ।
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पिता को मुखाग्नि देकर घर आयी बेटी छुपाएं आंसू और माँ के आँसू पोंछकर कहा माँ चुप हो जा अभी जिंदा हूँ मैं.. ग़र घर में बेटा होता माँ चाहें जितना भी होता काबिल पर वह बेटी तो नही हो सकता 'बेटी' ही नही माँ 'बेटा' भी हूँ मै.. सिर पर रस्म पगड़ी की नही काबिलियत पर जिम्मेदारी ताज पिता का आदर्श और आशीर्वाद है गर्व करेगा जहां 'माँ' तेरी बेटी हूँ मै.. ©Anil Ray 💗💗 "बेटी बेटों से कम नही" 💗💗 यूं मत देखों! अनिल मुझको तुम मेरे किरदार और कहानी की लेखक खुद हूँ.. जब चाहे विषय बदल लिया जाये अमिट स्याही की मज़बूत-सी सुंदर कलम हूँ..
💗💗 "बेटी बेटों से कम नही" 💗💗 यूं मत देखों! अनिल मुझको तुम मेरे किरदार और कहानी की लेखक खुद हूँ.. जब चाहे विषय बदल लिया जाये अमिट स्याही की मज़बूत-सी सुंदर कलम हूँ..
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समस्त पहचान का अस्थायी अस्तित्व नाम-रूप तक भी माता-पिता द्वारा पाया.. क्या था मुझमें मेरा कुछ भी नही यार तुझसे मिलन में मेरा 'मैं' भी जैसे खो गया.. पूछना खुदा से मेरी 'तड़फ' को तुम क्यों कोई मुझसे मिलकर भी जुदा हो गया.. बनाकर परी पर कतरे गये बंदिशों में चारों ओर दीवारों से मर्यादा महल हो गया.. पाक इबादत इश्क़ में खुदा समझा था और देखो अब वो खुदा भी पत्थर हो गया.. अनिल अनल जलाती है मेरी रूह तक क्यों जिस्म -टुकड़ों का समाज भिन्न हो गया.? ©Anil Ray विचारार्थ लेखन.................✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻 विवाह एक नापाक गठबंधन है चाहे इसे जो नाम दे कोई ? इसका जन्म नेकनीयत की भावना से नहीं बल्कि सुरक्षा के मद्देनजर हुआ है और प्रत्येक सुरक्षा अनिवार्यतः गुलामी को जन्म देती है। किसी ने कहा : विवाह एक संस्थागत वेश्यावृत्ति है, उस बात पर सोचते हुए आया ख्याल। संस्थागत वेश्यावृत्ति हो न हो संस्थागत शोषण तो है ही इसमें कोई शक नहीं। जैसे अकर्मण्य व्यक्ति को भोजन की गारंटी आकर्षित करती है, ठीक उसी तरह नाकाबिल पुरुषों को विवाह की व्यवस्था आकर्षित करती है। इस गठबन
विचारार्थ लेखन.................✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻 विवाह एक नापाक गठबंधन है चाहे इसे जो नाम दे कोई ? इसका जन्म नेकनीयत की भावना से नहीं बल्कि सुरक्षा के मद्देनजर हुआ है और प्रत्येक सुरक्षा अनिवार्यतः गुलामी को जन्म देती है। किसी ने कहा : विवाह एक संस्थागत वेश्यावृत्ति है, उस बात पर सोचते हुए आया ख्याल। संस्थागत वेश्यावृत्ति हो न हो संस्थागत शोषण तो है ही इसमें कोई शक नहीं। जैसे अकर्मण्य व्यक्ति को भोजन की गारंटी आकर्षित करती है, ठीक उसी तरह नाकाबिल पुरुषों को विवाह की व्यवस्था आकर्षित करती है। इस गठबन
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जर्जर खंडहर तन चीथड़ों में बिखरा हुआ है इंतजार में तुम्हारे.. कभी आकर तो देखो यार! काया-हवन 'मोहब्बत' में तुम्हारे.. ©Anil Ray 💕💕 लौट आओं न तुम 💕💕 समय बदलता गया धीरे-धीरे और संग में कमबख़्त वों भी.. इश्क़-ए-मौसम मटमैला-सा है नफ़रत-ए-ज़हर की आंधियों में जिंदगी तन्हाइयों से तंग आकर
💕💕 लौट आओं न तुम 💕💕 समय बदलता गया धीरे-धीरे और संग में कमबख़्त वों भी.. इश्क़-ए-मौसम मटमैला-सा है नफ़रत-ए-ज़हर की आंधियों में जिंदगी तन्हाइयों से तंग आकर
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दृश्य स्वरूप से परे, मेरा एक निजस्वरूप भी है हजारों वस्त्र तन के लिए पर नजरदोष का क्या? कुदरत से प्राप्त कुदरती जिस्म अनमोल है मेरा तुम्हारा वजूद भी मिटेगा खुद को मिटा दूं क्या? ©Anil Ray विचारार्थ लेखन.................✍🏻 "सर! उस साली के बहुत पंख निकल आए हैं। कहती हैं मैं औरों के जैसी नहीं हूँ ... अजीब गंदी औरत है जो साफ होने की नौटंकी करती है।" "उसके खिलाफ़ कोई शिकायत है क्या ?" "नहीं, पर कागजों में शिकायत दर्ज़ करने में कितना समय लगता है भला , निकाल बाहर कीजिये साली को । ऐसी पता नहीं कितनी प्रोफेसर लाइन में लगी मिल जाएंगी।"
विचारार्थ लेखन.................✍🏻 "सर! उस साली के बहुत पंख निकल आए हैं। कहती हैं मैं औरों के जैसी नहीं हूँ ... अजीब गंदी औरत है जो साफ होने की नौटंकी करती है।" "उसके खिलाफ़ कोई शिकायत है क्या ?" "नहीं, पर कागजों में शिकायत दर्ज़ करने में कितना समय लगता है भला , निकाल बाहर कीजिये साली को । ऐसी पता नहीं कितनी प्रोफेसर लाइन में लगी मिल जाएंगी।"
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महफूज़ रख दिल में अनिल मोहब्बत को पता नही कल नफ़रत के लिए भी मैं नही रहूं.. वायदा! था साथ-साथ चलने का हमारा फिर दर्दे-दिल के ज़ख्म अकेले ही कैसे सहूं..? महकती सांसे तार-तार हुई बेवफ़ाई में गिले-शिकवे के लिए भी सांसें नही क्या कहूं.. यें मौत शिकार रही है तेरी अनदेखी का पत्थर-सा हो गया तन सूख गया है सारा लहूं.. पल-पल मरा हूँ तमन्ना भी दफ़न क़ब्र में चाह रही दीवानों के हृदय में रक्त बनकर बहूं.. विशाल समुद्र की देखकर लवणता को चाहत है मैं छोटा-सा ही पर मीठा झरना रहूं.. ©Anil Ray 🩵🌨️बरस बरसे यें बादल मोहब्बत का🌨️🩵 कब शनै शनै व्यतीत हो गया पल पल-पल कुछ यादें धूमिल और कुछ पर पर्दा रहा भूल का.. कुछ दिमाग में नही आये कुछ दिल में बसे एहसानमंद हूं जिंदगी तुम्हारी हसीं मुलाकातों का..
🩵🌨️बरस बरसे यें बादल मोहब्बत का🌨️🩵 कब शनै शनै व्यतीत हो गया पल पल-पल कुछ यादें धूमिल और कुछ पर पर्दा रहा भूल का.. कुछ दिमाग में नही आये कुछ दिल में बसे एहसानमंद हूं जिंदगी तुम्हारी हसीं मुलाकातों का..
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पूर्णिमा चाँद वर्धित स्वरूप में मस्त है कभी अमावस्या में रोशनी जैसे अस्त है.. खुशी हो या गम चाँद चाँदनी नही त्यागे 'चाँद' निरन्तर निजस्वरूप नित्य व्यस्त है.. किरदार का इंतजार सितारे भी करते सुगति से ही जीवन-चक्र सकल मस्त है.. सबका 'पथ' और 'स्वगति' भिन्न-भिन्न मन पठन-पाठन निजकर्म में अलमस्त है.. कुछ इस 'चाँद' से ही सीख लो अनिल! सुख-दुख में समदृष्टि-संतोष ही मदमस्त है.. ©Anil Ray 💖💝💖✨शुक्रिया अदा चाँद✨💖💝💖 बेशक चाँद तुझ तक हाथ नही जाते अनिल के परन्तु मेरी नज़रों में अपलक कैद है हसीं नज़ारा.. हे चाँद तेरी चाँदनी से सीखा है मैंने पाक इश्क़ मेरे चाँद के बाद तू भी चाँद मुझे रहा बेहद ही प्यारा..
💖💝💖✨शुक्रिया अदा चाँद✨💖💝💖 बेशक चाँद तुझ तक हाथ नही जाते अनिल के परन्तु मेरी नज़रों में अपलक कैद है हसीं नज़ारा.. हे चाँद तेरी चाँदनी से सीखा है मैंने पाक इश्क़ मेरे चाँद के बाद तू भी चाँद मुझे रहा बेहद ही प्यारा..
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एक बार फिर से नया साल आएगा जनवरी-फरवरी___नवंबर-दिसंबर दोहरायेगा.. यें आने वाला वक्त भी नया ही होगा बदनसीब होगा वों वक्त जो हमें न देख पायेगा.. दर्दे-दिल के ज़ख्म हरे के हरे ही रहे दर्द मुद्दतों पुराना कमबख़्त नयी धुन में गायेगा.. नववर्ष की बधाई भी किसको दूं मैं बेवफ़ाई का वक्त मुझको वफ़ा का वक्त लौटायेगा.. हरेक पल नया है वक्त के हाथों में पर वक्त के साथ हमारे हाथों में कुछ न रह पायेगा.. मत हँसो पर नेत्र को आँसू देकर दिल तोड़ने वाला वक्त हथौड़ा से तोड़ा जायेगा.. ©Anil Ray 🌸🪷__तानाशाह__ 🪷🌸 "सर! लोग अपने पदक पर पदक लौटा रहे हैं, एक न्यूज तो बनती है।" "न्यूज तो बनती है, पर यहाँ आजकल ईमानदारी सत्ता की छलनी में छनती है।" "क्या मतलब?"
🌸🪷__तानाशाह__ 🪷🌸 "सर! लोग अपने पदक पर पदक लौटा रहे हैं, एक न्यूज तो बनती है।" "न्यूज तो बनती है, पर यहाँ आजकल ईमानदारी सत्ता की छलनी में छनती है।" "क्या मतलब?"
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