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वाचाल (दोहे) सावधान वाचाल से, करे मधुर ये बात। जै

वाचाल (दोहे)

सावधान वाचाल से, करे मधुर ये बात।
जैसे मकड़ा फाँसता, है इसकी औकात।।

फिर शिकार वह ढूँढता, हो जाता बेहाल।
जैसे मिले शिकार है, हो जाता खुशहाल।।

बैचेनी में डोलता, यह देखो वाचाल।
इससे बच कर सब रहें, ऐसा ये जनजाल।

जो झाँसे में आ गया, करे वही संताप।
रुपया पैसा लुट गया, देता उसको श्राप।।

वह पापी इंसान है, पाले मन में पाप।
उसका ही वो खा रहा, ईश्वर देंगे थाप।।

तभी कहेगा वो वही, कैसे कर दी भूल।
दुख इतने अब मिल रहे, और दे रहे शूल।।
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देवेश दीक्षित

©Devesh Dixit 
  #वाचाल #nojotohindipoetry 
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