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Men walking on dark street वक्त पे हम कभी,यार मिल

Men walking on dark street वक्त पे हम कभी,यार मिल जाते तो।
वक्त के हाथ में दिल न देते कभी।
वक्त बेवक्त ये प्यार क्यों लाया है।
छोड़ कर जा रहे जब अपने सभी।

क्या कोई फूल है ,अब जो  सूखा नहीं।
क्या कोई आह है जो कि भूखा नहीं।
क्या मुझे आ गई है तिजारत सनम,
इश्क करके छुपाना क्या धोखा नहीं।
हर घड़ी जिंदगी एक व्यापार है,
जिसमे मुझको मुनाफा न होगा कभी।

चल चलें गांव के मंदिरों की तरफ,
वो शिवाला जहां हम मिले थे कभी।
देख कर के नदी के भंवर डर गए।
भावनाओं के पर, पर हिले थे कभी।
अर्चना आरती सारे ही व्यर्थ हैं,
फिर से अब मुकुराना ना होगा कभी।

क्या तुम्हें याद है,अपनी अंतिम घड़ी,
वो मुलाकात जिसमे लगी थी झड़ी।
एक भींगे हुए खत को हाथो में ले,
तुम सिसकती हुई भींगती थी खड़ी।

सूखे उस खत में अब ढूंढता हूं तुम्हे,
कुछ तो बोलोगी कुछ तो कहोगी कभी।।

निर्भय चौहान

©निर्भय चौहान
  #Emotional  Vishalkumar "Vishal" Snehi Uks Anshu writer Kapil Nayyar Madhusudan Shrivastava