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"गौरैया कभी हर घर की सदस्य होती थी कभी दरवाजे पर

"गौरैया कभी हर घर की सदस्य होती थी 
कभी दरवाजे पर ,कभी खूंटियों पर
चीं चीं चीं चीं का मधुर संगीत सुनाती थी 
भोर हुए जगाती,सांझ ढले सुलाती थी 
कभी कभार बंद कर दरवाजा 
बचपन होता मन का राजा 
थका थका कर गौरैया को पकड़ लेते थे
रंग देते थे पंखों को,और उड़ा देते थे 
आज वही गौरैया प्रजाति 
खाद्य पदार्थों में केमिकल्स के प्रयोग से 
समाप्ति के कगार पर है 
संकल्प ले हम सब 



गौरैया प्रजाति को बचाना है 
फिर अपने घर की सदस्य बनाना है।"

©Azaad Pooran Singh Rajawat
  #गौरैया को बचाना है#

#गौरैया को बचाना है# #शायरी

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