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'स्त्री को देवी बनाना या बुरा सलूक करना दोनों ही स

'स्त्री को देवी बनाना या बुरा सलूक करना दोनों ही सूरतों में उसे एक मूरत समझ लिया जाता है। उसी पर ये छोटी कविता:'

मैं जीती हूँ
सांस लेती हूँ
ख़्वाब देखने की जुर्रत भी है
और सोच सकने की हिमाकत भी
हैरत होती है
पुतला होकर इंसान का भ्रम देती हूँ

 #देवी #स्त्री #मूरत #पुतला #इंसान #YQdidi #YQbaba
'स्त्री को देवी बनाना या बुरा सलूक करना दोनों ही सूरतों में उसे एक मूरत समझ लिया जाता है। उसी पर ये छोटी कविता:'

मैं जीती हूँ
सांस लेती हूँ
ख़्वाब देखने की जुर्रत भी है
और सोच सकने की हिमाकत भी
हैरत होती है
पुतला होकर इंसान का भ्रम देती हूँ

 #देवी #स्त्री #मूरत #पुतला #इंसान #YQdidi #YQbaba