जो लिखी थी गज़ल आधी अब पूरी हो गयी है साथ रहना भी जैसे अब दूरी हो गयी है वो सपनों का मकान अरमानों का महल हकीकत में ढह गया संग-संग चलना अधूरा रह गया ©Navdeep Rawat पार्थ #संग #संग