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टूटे हुए वादों की दास्तान ,अब सुनाऊं कैसे। जख्म



टूटे हुए वादों की दास्तान ,अब सुनाऊं कैसे।
जख्म जरा गहरे हैं ,वो दिखाऊं कैसे।
जो वादे निभाए नही तुमने ,
उस टीस की झंनकार तुम्हें सुनाऊं कैसे ।
बदल गई है ऋतु,बदल गया है मौसम,
तुम ही बता दो कि,पतझड़ में वसंत खिलाऊं कैसे ।

              रश्मि वत्स

©Rashmi Vats
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