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#Labour_Day रोटी - चमड़ी की यारी हो गयी एक आग से एक

#Labour_Day रोटी - चमड़ी की यारी हो गयी
एक आग से एक धूप से काली हो गयी 
ईंटे कुछ ऐसी दहकी 
धरती पसीने की प्यासी हो गयी 
रोज़ - रोज़ की यही कहानी हो गयी
ज़िंदगी चूल्हे सी पुरानी हो गयी 
कितने सूरज  ,कितने चाँद 
कितनी किरणों के आघात
माथे पर लिख गए सब वार 
आंखों में तैरती हम सब की हार 
रोटी - चमड़ी की यारी हो गयी 
एक आग से एक धूप से काली हो गयी

©pankaj mishra Inequality
#Labour_Day रोटी - चमड़ी की यारी हो गयी
एक आग से एक धूप से काली हो गयी 
ईंटे कुछ ऐसी दहकी 
धरती पसीने की प्यासी हो गयी 
रोज़ - रोज़ की यही कहानी हो गयी
ज़िंदगी चूल्हे सी पुरानी हो गयी 
कितने सूरज  ,कितने चाँद 
कितनी किरणों के आघात
माथे पर लिख गए सब वार 
आंखों में तैरती हम सब की हार 
रोटी - चमड़ी की यारी हो गयी 
एक आग से एक धूप से काली हो गयी

©pankaj mishra Inequality

Inequality #Labour_Day