बूढ़ा पीपल ऑफिस के बाहर एक पीपल का पेड़ है। बड़े दिनों से यूं ही खड़ा है। कल ही उस अजनबी को देख कर मुस्कुरा रहा था, अचानक ही वो आ पहुंचा,पीपल के नीचे, पसीने से तर बतर,बस बैठ गया वहीं नीचे उसकी छांव में। अजनबी के चेहरे का रंग,कुछ बदल सा रहा था मानो, शिकन की लकीरें,कुछ कम होने लगी थी उसके माथे पर। बूढ़े पीपल ने सोचा, "इतने दिनों बाद भी कोई तो पहचानता है मुझे,वरना ये ऊंचे कांच के मीनारों वाले कहां अपनी शिकन की लकीरें कम करने आते हैं? वो सारे तो माथे पर शिकन लिए,मुंह में एक डंडी लिए,बस धुआं उड़ाते हैं,और पसीना आने पर फिर उन कांच वाले मीनारों में वापस लौट जाते है ।" पीपल खड़ा है वहीं सालों से,पर वो समझ नहीं पाता कि ,"आखिर इन कांच के मीनारों में ही,जब ये इतना सुकून पाते हैं? तो भला क्यों ये अपने माथे की लकीरें हर रोज़ बढ़ाते हैं?" पर उस अजनबी को देख कर आज खुश था बूढ़ा पीपल । उसको अपनी छांव को महसूस करता देख,पीपल एक सुकून पा रहा था, और बिन छुए ही उस अजनबी को अपने हिलोरों से सहला रहा था ।। #napowrimo19 #budhapipel #yqdidi #yqbaba #बूढ़ापीपल #napowrimo