Nojoto: Largest Storytelling Platform

किसी पेड़ को आदमी नहीं आदमी के भीतर छुपी हिंसा काट

किसी पेड़ को आदमी नहीं
आदमी के भीतर छुपी 
हिंसा काटती है

किसी फूल को आदमी नहीं
आदमी के भीतर छुपी
कुरूपता तोड़ती है

सबसे खतरनाक
आदमी के भीतर छुपी
पशुता होती है

अपने पुत्रों को जागृत करो
उन्हें शुचिता का 
वर दो माँ

©Rabindra Prasad Sinha
  #अनपढ़प्रेम