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। । वीभत्स रस ।। (काल चक्र) रूप से कुरूप ना कोई

। । वीभत्स रस ।।

(काल चक्र)

रूप से कुरूप ना कोई स्वरूप सा 
 वक्य  अपूर्ण अर्थ अभिभूत था

ईर्ष्या का प्रतिबिंब आंखों में पूर्ण
  हृदय से क्रूर अभिमानी प्रतिरूप था

रूप से कुरूप ना कोई स्वरूप सा

निंदा सार्थक राक्षस दूत सा
 काल की गति साक्षात यमदूत था

तन मलिन कटु वाणी बुद्धि शून्य सा
सहज सरल हृदय अति दूर था

रूप से कुरूप ना कोई स्वरूप सा 
वाक्य अपूर्ण अर्थ अभिभूत था!

अभीभूत _पराजित

©kanchan Yadav
  #कालचक्र