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पूर्वार्थ
a-person-standing-on-a-beach-at-sunset कितने बार भी दिल टूटे लेकिन लगाना नहीं छोड़ना चाहिए। कितनी बार भी हार जाओ लड़ना नहीं छोड़ना चाहिए। कितने भी बुरे लोग मिलें , भरोसे की उम्मीद नहीं छोड़नी चाहिए। ये प्रेम, ये जिद, ये भरोसे की उम्मीद .. इसी में तो जीवन है. उम्मीद का मर जाना ही मृत्यु है। उम्मीद स्वयं जीवन है। कुछ अच्छा होने की उम्मीद ही सृजन का बीज है, सूत्र है . इसके बिना अच्छा घटित होने की परिस्थिति कैसे बनेगी ? अच्छाई एकांक में सर्वाइव कैसे करेंगी। इसके बिना तो जीवन मरुस्थल है। उम्मीद ही तरुवर है। बीमारियां, चोटें, घाव, धोखा, असफलता (प्रेम की हो या भौतिक जीवन की) ये बस एक पड़ाव हैं, अर्थविराम हैं ... कहानी यहां खत्म नहीं होती.. ये कहानी का अंत नहीं है. तो कभी कभी गुनगुना लिया करो कि ऊपर वाला जब साथी है, जीने की उमर बाकी है। #कालचक्र ©पूर्वार्थ #SunSet
Swati kashyap
White काल का इक चक्र चला और जीवन बदला मैं निकल पड़ी.. कर्म पथ पर आंसू के अस्त्र नही लेकर..मन में साहस तलवार लिए दहलीज़ लांघकर चल दी मैं, कांटों को दर किनार किए और मैं निकल पड़ी.. कर्म पथ पर आंधी आयी, तुफ़ां आये.. मझधार खड़ी पर रुकी नहीं धूप में तन काला किया, पर माथे पर कोई शिकन नहीं और मैं निकल पड़ी.. कर्म पथ पर ख़ुद में मनु को देखूं मैं, मन को बंधन मुक्त किया निडर अकेली डंटी रही, और आंसू धोकर पी गयी और मैं निकल पड़ी.. कर्म पथ पर ना साथी, ना संगी कोई.. खुद को ही सखी बना लिया कलम का हाथ पकड़कर मैंने.. दुख के बोझ को पार किया और मैं निकल पड़ी.. कर्म पथ पर ये साहस कहां से ढूंढ़ लाई.. इसकी आज भी ख़बर नहीं छिपी बैठी थी घर में कहीं.. वो हिम्मत कहां से ले आयी और मैं निकल पड़ी.. कर्म पथ पर .. ©Swati kashyap #कालचक्र
kanchan Yadav
। । वीभत्स रस ।। (काल चक्र) रूप से कुरूप ना कोई स्वरूप सा वक्य अपूर्ण अर्थ अभिभूत था ईर्ष्या का प्रतिबिंब आंखों में पूर्ण हृदय से क्रूर अभिमानी प्रतिरूप था रूप से कुरूप ना कोई स्वरूप सा निंदा सार्थक राक्षस दूत सा काल की गति साक्षात यमदूत था तन मलिन कटु वाणी बुद्धि शून्य सा सहज सरल हृदय अति दूर था रूप से कुरूप ना कोई स्वरूप सा वाक्य अपूर्ण अर्थ अभिभूत था! अभीभूत _पराजित ©kanchan Yadav #कालचक्र
Divyanshu Pathak
गणनाओं को सरल करने के लिए आधुनिक विज्ञान ने खूब सहारा दिया है 0-1 मैं ही सारा गणित समाहित है ! प्राण (असु )- त्रुटि रेणु लव लेशक पल घटी दिन क्रमशः समय के सूक्ष्म रूप हैं इनमें से हम कभी कभी महबूब की बिरह में "पलभर" दूर भी रहना बर्दाश्त नहीं करना चाहते ! बोलो है ना ! जब मैंने सोचा कि ये पल भर वाला समय कितना होता होगा ? सेकेण्ड से सूक्ष्म कुछ है तो वो क्या है ? पलकों का सामान्य झपकना भी तो समय का एक अंश है। यह कितना होता है ? विज्ञान ने बहुत कुछ बतादिया है । स्वास्थ् व्यक्ति की स्वांस लेने में लगा वक्त कितना होता है ? ऐसे ऐसे अनेक प्रश्न उभरे जबाब पता नहीं कब मिल पाए आप लोगों में से किसी को जानकारी हो तो बताएं !😊 स्वागत है ।
जब मैंने सोचा कि ये पल भर वाला समय कितना होता होगा ? सेकेण्ड से सूक्ष्म कुछ है तो वो क्या है ? पलकों का सामान्य झपकना भी तो समय का एक अंश है। यह कितना होता है ? विज्ञान ने बहुत कुछ बतादिया है । स्वास्थ् व्यक्ति की स्वांस लेने में लगा वक्त कितना होता है ? ऐसे ऐसे अनेक प्रश्न उभरे जबाब पता नहीं कब मिल पाए आप लोगों में से किसी को जानकारी हो तो बताएं !😊 स्वागत है ।
read morevishnu prabhakar singh
'जागो ग्राहक जागो' (कालचक्र) सबकी अपनी राह बनावटी संघर्ष की मौलिकता से उभरी नव-नव चेतना को समर्पित प्रयास के अद्भुत बल पर दुरी बढ़ते ही जा रही उदासीनता से ख़ुशी-ख़ुशी जीविका उत्थान हेतु शोध समर्पित तृष्णा या मानव आचरण ! एक प्रकृति निर्मित भू-पटल की कहानी इतिहास के पन्नों पर प्रमाण लिए टुकड़े-टुकड़े होती रही राष्ट्रीय मान की ओर विलय की अवधारणा को अस्वीकारती अब जूझ रही विधि-व्यवस्था से ख़ुशी-ख़ुशी सीमा निर्माण हेतु असिमित्ता का भय या विकल्प नहीं! बाँट लिया है हमने राष्ट्र को समूल सबके पक्ष को है दायरे से चिन्हित करना अनुशासन की धारा में एकत्र हो स्थिर होना कठिन है पर कथित लक्ष्य भी आदर्श की भूख में संतुलन का उपवास ख़ुशी-ख़ुशी अर्थ पूर्ण मानव जीवन हेतु प्रकृति के गोद में बेसुध या अर्थहीन परम्परा! विप्रणु ✒️ (जारी) #कालचक्र विप्रणु
#कालचक्र विप्रणु
read moreUma Vaishnav
काल चक्र (दोहा छंद) *******************'** काल चक्र हैं कह रहा, मत कर नर अभिमान। पल में सब कुछ बदल दे,समय बड़ा बलवान ।। काल चक्र की चाल को, समझ सका है कौन। चाल काल की देख कर, मुख वाले भी मौन।। चाल काल की आज तक, रोक सका है कौन। करती पुकार द्रोपदी , धर्म रक्षक थे मौन।। ©Uma Vaishnav #morning #कालचक्र #MessageToTheWorld
#Morning #कालचक्र #MessageToTheWorld
read moreShort And Sweet Blog
जो आया है एक दिन उसे जाना है , जो गया है वह फिर से आएगा यही जीवन का काल चक्र है कोई ना इससे बच पाया है । कुछ दिन का यह एक मेला है बस मीठी यादों का घेरा है । जितनी यादे तुम लूट सको , बस वही तुम्हारी अपनी है । बाकी तो बस सपना है जो अपना है वह बस सपना है । #कालचक्र
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