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आज अमावश की रात है मेरे ख्वाहिशों की रात है पलती

आज अमावश की रात है 
मेरे ख्वाहिशों की रात है 
पलती है ख्वाहिशें तिमिर 
के आगोश में 
किसी चलचित्र की तरह तस्वीरें रेंगती है 
अर्श से फर्श तक की लकीरों पे 
खुशनुमा लम्हों में टिमटिमाता आंखों का तारा नहीं 
दो आंखों की पुतलियां उमंग से उत्साह से भोर की किरणों में तपने के लिए तैयार बंद चिलमन के अमावश रात में पलती ख्वाहिशों के पूरे करने की कवायद मुकम्मल दुनियां में अमावश से पूनम तक का सफर समर्पण होने को आतुर मंजिल को पाने की चाहत 
आरंभ है अमावश अंत भी अमावश 
जीवन का सार है अमावश।

©Aditi Chouhan
  #Preying