कविता "शिक्षक ही भगवान" शिक्षक है ब्रह्मा हमारे, शिक्षक है विष्णु हमारे, इनका आदर रूपी सेवा करो। यही है ब्रह्मा विष्णु महेश हमारे।। अज्ञान रूपी अंधकार को दूर करते, ज्ञान रूपी प्रकाश को फैलाते, सभी बच्चों को शिक्षा देते। चाहे अमीर हो या गरीब।। सब दुनिया में अपने स्वार्थी, राजा हो या रंक, निस्वार्थी तो बस शिक्षक। सबको देते सीख।। बड़ों बड़ों से जो काम न हुआ, वह शिक्षक ने कर दिखाया, बच्चों में सही और गलत का निर्णय लेना। शिक्षक ने ही तो सिखाया।। दिन हो या रात, शिक्षक भूखा हो या प्यासा, शिक्षक का तो बस एक ही काम। शिक्षा के उजाले को फैलाया। शिक्षा के उजाले को फैलाया।। - इचू शेखावत ©Ichu shekhawat एजुकेशन #Books