आपाधापी अरे ये दौड़ ऊफर से बेमतलब की होड़ जब पता है पूर्णता पाते नौ माह चिरनिंद्रा फिर उठती आग लपटे बन जाना है जब राख फिर किसके लिए आपाधापी अरे ये दौंड़ ©अभिव्यक्ति और अहसास -राहुल आरेज अरे ! ये दौड़