कल उम्मीदों की बारिश हुई थी दिमाग पे ठंडी, जुबान पे गर्म सी लगी थीं मेरे इज्जत का पहरन गीला गीला हो गया मेरा हवासों का रंग भी उतरने लगा अब ये जो उसमें भीग के आयी प्रतिमा है उसको तो तुम देवी समझ के विसर्जित कर आये थे अपने पापों का प्रायश्चित्त मुझे डुबो कर पाने आये थे लेकिन वो देवी तो कब का डायन बन नाच रही है तुम्हारे झाड़ फूँक के बाद भी हँसे जा रही है वो जितना जीने की बात करती है, उतनी ही पागल लगती है शरीफ़ज़ादों की दुनिया में वो अब नशे का कारोबार करती है..... #नशा #जिंदगी #प्रतिमा #मूरत #YQbaba #YQdidi