ज़िन्दगी तू कैसे बसर होगी खुशी से अब दिल ही नही लग रहा किसी से जहा परछाइयां भी साथ छोड़ दे रही वहाँ क्या उम्मीद रखे हमनशीं से हर वक़्त मेरे जहन में क्यूँ आता है क्या रिश्ता है मेरा खुदकुशी से किसी दिन तुम्हे अपनी दास्तां सुनाऊंगा तुम्हे मोहब्बत हो जाएगा बेकशी से ©क्षत्रियंकेश बेकशी!