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डर लगता हैं अब तेरे लौट के आने से डर लगता हैं।

 डर लगता हैं 

अब तेरे लौट के आने से डर लगता हैं।
कोई आरजू जगाने से डर लगता हैं।।

डर लगता है अब मुझे दिल लगाने से।
किसी को अपना बनाने से डर लगता है।।

बड़ी समझाईश से संभली हैं जिन्दगी।
अब खुद को आजमाने से डर लगता हैं।।

हर रात मिलता था मैं तुझसे ख़्वाबों में।
अब खुद को भी सुलाने से डर लगता हैं।।

कर दिया ख़ामोश उसी एक हादसे ने।
अब हाल ए दिल बताने से डर लगता है।।

©Raj Guru
  #डर_लगता_है  Anupriya M@nsi Bisht कवि संतोष बड़कुर Jashvant जलते आंसू  Puja Udeshi Mahadev ki deewani Ravina jpr. शीतल चौधरी(मेरे शब्द संकलन ) kanta kumawat