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jashvant2251
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Jashvant

चलते फिरते हुए महताब दिखाएंगे तुम्हें , हमसे मिलना कभी, पंजाब दिखाएंगे तुम्हें | चांद हर छत पर है, सूरज है हर आंगन में, नींद से जागो तो कुछ ख्वाब दिखाएंगे तुम्हें |

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Jashvant

White शुभ रात्रि दोस्तों

©Jashvant #Good नाइट

#Good नाइट #wishes

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Jashvant

White गो तिरी ज़ुल्फ़ों का ज़िंदानी हूँ मैं
भूल मत जाना कि सैलानी हूँ मैं

ज़िंदगी की क़ैद कोई क़ैद है
सूखते तालाब का पानी हूँ मैं

चाँदनी रातों में यारों के बग़ैर
चाँदनी रातों की वीरानी हूँ मैं

जिस क़दर मौजूद हूँ मफ़क़ूद हूँ
जिस क़दर ग़ाएब हूँ लाफ़ानी हूँ मैं

मुझ को तन्हाई में सुनना बैठ कर
मुतरिब-ए-लम्हात-ए-वजदानी हूँ मैं

जिस क़दर करता हूँ अंदेशा 'अदम'
उस क़दर तस्वीर-ए-हैरानी हूँ मैं

अक़्ल से क्या काम मुझ नाचीज़ का
एक मा'मूली सी नादानी हूँ मैं

हूँ अगर तो हूँ भी क्या इस के सिवा
क़ीमती विर्से की अर्ज़ानी हूँ मैं

दिल की धड़कन बढ़ती जाती है 'अदम'
किस हसीं के ज़ेर-ए-निगरानी हूँ मैं

©Jashvant #GoodMorning  urdu poetry

#GoodMorning urdu poetry #Poetry

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Jashvant

White कितनी बे-साख़्ता ख़ता हूँ मैं
आप की रग़बत-ओ-रज़ा हूँ मैं

मैं ने जब साज़ छेड़ना चाहा
ख़ामुशी चीख़ उठी सदा हूँ मैं

हश्र की सुब्ह तक तो जागूँगा
रात का आख़िरी दिया हूँ मैं

आप ने मुझ को ख़ूब पहचाना
वाक़ई सख़्त बेवफ़ा हूँ मैं

मैं ने समझा था मैं मोहब्बत हूँ
मैं ने समझा था मुद्दआ' हूँ मैं

काश मुझ को कोई बताए 'अदम'
किस परी-वश की बद-दुआ हूँ मैं

©Jashvant Deep poetry in urdu

Deep poetry in urdu #Poetry

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Jashvant

White हर दुश्मन-ए-वफ़ा मुझे महबूब हो गया
जो मोजज़ा हुआ वो बहुत ख़ूब हो गया

इश्क़ एक सीधी-सादी सी मंतिक़ की बात है
रग़बत मुझे हुई तो वो मर्ग़ूब हो गया

दीवानगी बग़ैर हयात इतनी तल्ख़ थी
जो शख़्स भी ज़हीन था मज्ज़ूब हो गया

मुजरिम था जो वो अपनी ज़ेहानत से बच गया
जिस से ख़ता न की थी वो मस्लूब हो गया

वो ख़त जो उस के हाथ से पुर्ज़े हुआ 'अदम'
दुनिया का सब से क़ीमती मक्तूब हो गया

©Jashvant #GoodMorning#Deep poetry in urdu#Mehboob

#GoodMorning#Deep poetry in urduMehboob #Poetry

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Jashvant

White जब तिरे नैन मुस्कुराते हैं
ज़ीस्त के रंज भूल जाते हैं

क्यूँ शिकन डालते हो माथे पर
भूल कर आ गए हैं जाते हैं

कश्तियाँ यूँ भी डूब जाती हैं
नाख़ुदा किस लिए डराते हैं

इक हसीं आँख के इशारे पर
क़ाफ़िले राह भूल जाते हैं

©Jashvant #Alfaz#urdu poetry
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Jashvant

White मंज़िल पे पहुँचने का मुझे शौक़ हुआ तेज़
रस्ता मिला दुश्वार तो मैं और चला तेज़

हाथों को डुबो आए हो तुम किस के लहू में
पहले तो कभी इतना न था रंग-ए-हिना तेज़

मुझ को ये नदामत है कि मैं सख़्त-गुलू था
तुझ से ये शिकायत है कि ख़ंजर न किया तेज़

चल मैं तुझे रफ़्तार का अंदाज़ सिखा दूँ
हम-राह मिरे सुस्त-क़दम मुझ से जुदा तेज़

अफ़्सुर्दगी-ए-गुल पे भरीं किस ने ये आहें
चलती है सर-ए-सहन-ए-चमन आज हवा तेज़

अब मुझ को नज़र फेर के इक जाम दे साक़ी
फिर कौन सँभालेगा अगर नश्शा हुआ तेज़

इंसान के हर ग़म पे 'सबा' चोट लगी है
शीशे के चटख़ने की भी थी कितनी सदा तेज़

©Jashvant  deep poetry in urdu#Tez

deep poetry in urduTez #Poetry

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Jashvant

White दिन कट रहे हैं कश्मकश-ए-रोज़गार में
दम घुट रहा है साया-ए-अब्र-ए-बहार में

आती है अपने जिस्म के जलने की बू मुझे
लुटते हैं निकहतों के सुबू जब बहार में

गुज़रा उधर से जब कोई झोंका तो चौंक कर
दिल ने कहा ये आ गए हम किस दयार में

मैं एक पल के रंज-ए-फ़रावाँ में खो गया
मुरझा गए ज़माने मिरे इंतिज़ार में

है कुंज-ए-आफ़ियत तुझे पा कर पता चला
क्या हमहमे थे गर्द-ए-सर-ए-रह-गुज़ार में

©Jashvant #Gazal#  urdu poetry

#gazal# urdu poetry #Poetry

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Jashvant

White सोच में डूबा हुआ हूँ अक्स अपना देख कर
जी लरज़ उट्ठा तिरी आँखों में सहरा देख कर

प्यास बढ़ती जा रही है बहता दरिया देख कर
भागती जाती हैं लहरें ये तमाशा देख कर

एक दिन आँखों में बढ़ जाएगी वीरानी बहुत
एक दिन रातें डराएँगी अकेला देख कर

एक दुनिया एक साए पर तरस खाती हुई
लौट कर आया हूँ मैं अपना तमाशा देख कर

उम्र भर काँटों में दामन कौन उलझाता फिरे
अपने वीराने में आ बैठा हूँ दुनिया देख कर

©Jashvant #sad_quotes  urdu poetry

#sad_quotes urdu poetry #Poetry

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Jashvant

White जो ग़ैर थे वो इसी बात पर हमारे हुए
कि हम से दोस्त बहुत बे-ख़बर हमारे हुए

किसे ख़बर वो मोहब्बत थी या रक़ाबत थी
बहुत से लोग तुझे देख कर हमारे हुए

अब इक हुजूम-ए-शिकस्ता-दिलाँ है साथ अपने
जिन्हें कोई न मिला हम-सफ़र हमारे हुए

किसी ने ग़म तो किसी ने मिज़ाज-ए-ग़म बख़्शा
सब अपनी अपनी जगह चारागर हमारे हुए

बुझा के ताक़ की शमएँ न देख तारों को
इसी जुनूँ में तो बर्बाद घर हमारे हुए

वो ए'तिमाद कहाँ से 'फ़राज़' लाएँगे
किसी को छोड़ के वो अब अगर हमारे हुए

©Jashvant #Good Morning#_shayari

#Good Morning_shayari #Poetry

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Jashvant

Unsplash मैं खिल नहीं सका कि मुझे नम नहीं मिला
साक़ी मिरे मिज़ाज का मौसम नहीं मिला

मुझ में बसी हुई थी किसी और की महक
दिल बुझ गया कि रात वो बरहम नहीं मिला

बस अपने सामने ज़रा आँखें झुकी रहीं
वर्ना मिरी अना में कहीं ख़म नहीं मिला

उस से तरह तरह की शिकायत रही मगर
मेरी तरफ़ से रंज उसे कम नहीं मिला

एक एक कर के लोग बिछड़ते चले गए
ये क्या हुआ कि वक़्फ़ा-ए-मातम नहीं मिला

©Jashvant #leafbook  deep poetry in urdu

#leafbook deep poetry in urdu #Poetry

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