ग़ज़ल :- चाँद को नूर दिखाने वाले । पालकी आज सजाने वाले ।।१ ले गये फूल कि डोली देखो । खेल गुडिय़ा का बताने वाले ।।२ दे गये जख़्म हजारों मुझको । बात वह मेरी उठाने वाले ।।३ खार ही याद रहे जब उनको । क्या करे फूल उगाने वाले ।।४ जल उठे दीपक पथ में उनके । जब चलें राह दिखाने वाले ।।५ सो गये आज वही फिर देखो । नींद से सबको जगाने वाले ।।६ इक दफ़ा और गिरा दे हमदम । ज़ाम होठो से लगाने वाले ।७ भूलने वो लोग लगें हैं हमको । जो थे रिश्ता निभाने वाले ।।८ देख ले आज प्रखर है गुमशुम । उसका हमदर्द बताने वाले ।।९ ०५/०७/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :- चाँद को नूर दिखाने वाले । पालकी आज सजाने वाले ।।१ ले गये फूल कि डोली देखो । खेल गुडिय़ा का बताने वाले ।।२ दे गये जख़्म हजारों मुझको ।